होंठो से जो छू लिया एहसास अब तक है; आँखें नम हैं और सांसों में आग अब तक है। और क्यों न हो खाई भी तो हरी मिर्ची थी!
Like (0) Dislike (0)
होंठो से जो छू लिया एहसास अब तक है; आँखें नम हैं और सांसों में आग अब तक है। और क्यों न हो खाई भी तो हरी मिर्ची थी!
Your Comment