सिमटते जा रहें हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते
सौदा करने मे जो माहिर है बस वही धनवान है

जाने क्यूँ अपने हुस्न पर इतना गुरूर है उसे लगता है
उसका आधार कार्ड अब तक नहीं बना है

मुझे नजरंदाज करने की एक वजह तो बताए वो
फिर उसे प्यार करने की हजार वजहें मैं बताऊंगा

रहने दे गुंजाइशें जरा अपनी बेरुखी में
इतना ना तोड़ मुझे कि मैं किसी और से जुड़ जाऊँ

तु अगर मुझे नवाजे तेरा करम है मेरे मालिक वर्ना तेरी रहमतों के क़ाबिल मेरी बंदगी नहीं।

ईससे अच्छा तो सजा-ए-मौत मुक़र्रर कर दे तू
हर गलती पे कहना छोड़ जाऊँगी अच्छी बात नहीं

उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे ........!!"

सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

मेरी उम्र इतनी तो नही, फिर भी ना जाने क्यूँ
बडे-बडे आशिक़ मेरी शायरी को सलाम ठोकते है!!

कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…

क्या हुआ अगर मेरे लब तेरे लब से लग गये
नाराज़ क्यूँ हो रही हो माफ़ ना करो तो बदला ही ले लो

"मै तेरी मजबूरिया समझता था इसलिए जाने दिया...
अब तु भी मेरी मजबूरिया समझ और वापस आ जा...!!"

सूरज आग उगलता है सहना धरती को पड़ता है
मोह्हबत निगाहे कराती है सहेना दिल को पड़ता है

ग़र तुम्हे अपना कहें तो तुम्हे कोई शिकवा तो नहीं
जमाना पूछता है बता तेरा अपना कौन है