कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
आज भी संभाल के रखा है मैंने वो कागज का टुकड़ा
जिसमे तुमने लिखा था मुझे तुमसे मोहब्बत है
खुशी में मदहोश और गम में मायूस मत होना
ये वक्त बड़ा खिलाड़ी है हर रोज़ अपनी चाल बदलेगा
वो जवाब मांगता हैं कि हमें भूल तो नही जाओगे
जवाब मैं क्या दूँ जब सवाल ही पैदा नहीं होता
किसी ने आज पूछा हमसे कहाँ से लाते हो ये शायरी
मैं मुस्करा के बोला उसके ख्यालो मे डूब कर
इंसान की फितरत को समझते हैं ये परिंदे,
कितनी भी मोहब्बत से बुलाना मगर पास नहीं आयेंगे..
हसीन आँखों को पढ़ने का अभी तक शौक है मुझको
मुहब्बत में उजड़ कर भी मेरी ये आदत नहीं बदली
अगर आप लोगों के साथ अच्छा बर्ताव करेंगे तो वे भी आप के साथ अच्छा बर्ताव करेंगे कम से कम 90%।
कुछ इस तरह वो मेरी बातों का ज़िक्र किया करती है.... सुना है वो आज भी मेरी फिक्र किया करती है....!!
जो दिलो में शिकवे और जुबान पर शिकायते कम रखते है
वो लोग हर रिश्ता निभाने का दम रखते हैं
काश तुम बचपन में दिखने वाले खिलौने होते
बस उंगली दिखा के कहने की देर थी के पापा ye ladki चाहिए
"कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है ... आज़माइशों के बाद".!!!
इज़्ज़त खोकर आन बचाने की आदत नही अपनी
वरना जवाब वो भी हैं मेरे पास की सवाल ही पैदा ना हो
उसे मैं दिल में रख लेता अगर होता यह बस में मेरे
उसे सब देखते हैं मुझसे यह देखा नहीं जाता
उसे मैं दिल में रख लेता अगर होता यह बस में मेरे
उसे सब देखते हैं मुझसे यह देखा नहीं जाता