गुफ्तगुँ करते रहा कीजिए,
यही इंसानी फितरत है।
वरना बंद मकानों में
अक्सर जाले लग जाते हैं...।
💕☝
गुफ्तगुँ करते रहा कीजिए,
यही इंसानी फितरत है।
वरना बंद मकानों में
अक्सर जाले लग जाते हैं...।
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अजीब सी दास्तां है मेरी भी शब्द लिखता हूँ फिर मिटाता हूँ
और कई लोग तो तब तक पूरी शायरी ही लिख डालते है
शराब बनी तो मयखाने बने
हुस्न बना तो दीवाने बने
कुछ तो बात है आप में भी
यूं ही तो नहीं पागलखाने बने
मुझ से रह रह कर कहती हैं हांथों की लकीरें मेरी
वो तो मेरा तब भी नहीं था जब उसका हांथ मेरे हांथों में था
सभी प्रेम परिवर्तित होते हैं और उनमे बदलाव आता है। मुझे नहीं पता है कि आप हर समय प्रेम में रह सकते हैं।
लोग समजते हे की में तुम्हारे हुस्न पे मरता हूँ , अगर तुम भी यही समजते हो तो सुनो ; जब हुस्न खोदो तब लौट आना !!
दोस्ती सिर्फ पास होने का नाम नही..
अगर तुम दूर रहकर भी हमें याद करो..
इससे बड़ा हमारे लिए कोई इनाम नही..
हर व्यक्ति दो महिलाओं से प्रेम करता है एक वो जो उसकी कल्पना में है और दूसरी वो जो अभी तक पैदा ही नही हुई।
मोबाइल के एक फोल्डर में तेरी तस्वीरें इकठ्ठा की है मैंने
बस इसके सिवा और ख़ास कुछ जायदाद नहीं है मेरी
शायरी लिखना बंद कर दूंगा अब मैं यारो
मेरी शायरी की वजह से दोस्तों की आँखों में आंसू अब देखे नहीं जाते
जब दो लोग एक दूसरे से प्रेम करते है तो वे एक दूसरे को नहीं बल्कि एक ही दिशा में देखते है।
लब पे शिकवा न ला अश्क पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले
अब उखड़ने को है गम का डेरा किस के रोके रुका है सवेरा
कल का दिन किसने देखा है आज का दिन हम खोएँ क्यों
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं उन घड़ियों में रोएँ क्यों
उसने कहा की आखिर तुम भुला दोगें मुझे एक दिन; मैंने कहा करूं तो क्या करूं मैं; मुक़ददर ने मर जाना है एक दिन!
मेरे पापो की सजा कुछ इस कदर बढ़ गयीं है कि
मैं कभी तनहा नहीं रहता अब लोगो कि बद्दुआयें हमेशा साथ रहती है