जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं

हम बने थे तबाह होने के लिए…… तेरा छोड़ जाना तो महज़ इक बहाना था….!!

दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना
सुना है कम बोलने से बहुत कुछ सुलझ जाता है

तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने,
सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते

मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है
छोटा इंसान बडे मौके पर काम आ सकता है

दिल के छालों को कोई शायरी कहे तो दर्द नहीं होता
तक़लीफ़ तो तब होती है जब लोग वाह-वाह करते है

चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्तां सुनकर
ख़ामोशी तुम समझोगे नही और बयाँ हमसे होगा नही

टूटे हुवे सपनो और रूठे हुवे अपनों ने आज उदास कर दिया
वरना लोग हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे

कुए में उतरने वाली बाल्टी अगर झुकती है तो भरकर बाहर आती है
जीवन का भी यही गणित है जो झुकता है वो प्राप्त करता है

कहते है ऊपर वाले ने हर किसी
के लिए किसी न किसी को बनाया है..
कही मेरे वाली ने आत्महत्या तो
नहीं करली…” “
मिलही नहीं रही...

जरुर कोई तो लिखता होगा इन कागज और पत्थर का नसीब
वरना ये मुमकिन नहीं की कोई पत्थर ठोकर खाए और कोई पत्थर भगवान बन जाए
और कोई कागज़ रद्दी और कोई कागज़ गीता और कुरान बन जाए

जीवन का बहुत बडा सत्य
हम उन्हे रूलाते हैं जो हमारी परवाह करते हैं (माता पिता)
हम उनके लिए रोते हैं जो हमारी परवाह नहीं करते (औलाद )
और हम उनकी परवाह करते हैं जो हमारे लिए कभी नहीं रोयेगें (समाज)

जो मैं रूठ जाऊँ तो तुम मना लेना,
कुछ न कहना बस सीने से लगा लेना।

एक नींद है जो रात भर नहीं आती,
और एक नसीब है, जो ना जाने कब से सो रहा है..

लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया