इतना इंतज़ार तो अपनी धड़कनों पर भी हमने न किया; जितना आपकी बातों पर करते हैं; इतना इंतज़ार तो अपनी साँसों का भी न किया; जितना आपके मिलने का करते हैं।

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है; इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है; उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद; फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!

​हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;​​​आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं;​हवा टकरा रही है शमा से बार-बार;​​​और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है।

वफ़ा में अब यह हुनर इख़्तियार करना है; वो सच कहें या ना कहें बस ऐतबार करना है; यह तुझको जागते रहने का शौंक कबसे हो गया; मुझे तो खैर बस तेरा इंतज़ार करना है।

जिंदगी हसीना है जिंदगी से प्यार करो; है अंधेरा तो क्या हुआ उजाले का इंतज़ार करो; वो पल भी आएगा जिसका इंतज़ार है आपको; रब पर भरोसा और वक़्त पर ऐतबार करो!

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है; इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है; उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद; फिर भी हर मोड़ पर उसी का इंतज़ार क्यों है!

पलट के आएगा वो मैं इंतज़ार करती हूँ; कसम खुदा की उसे अब भी प्यार करती हूँ; मैं जानती हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर; मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करती हूँ।

बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ; वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ; उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन; दिल करता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ।

जब भी खुदा को याद किया नज़र तु ही आया; ये मेरे दीवाने पन के लिए तेरे दीदार की हद थी; हम तो मर गये मगर खुली रही आँखे हमारी; बेवफा तु नहीं आया ये तेरे इंतज़ार की हद थी।

ना जाने कब तक ये आँखें उसका इंतज़ार करेंगी; उसकी याद में कब तक खुद को बेक़रार करेंगी; उसे तो एहसास तक नहीं इस मोहब्बत का यारो; ना जाने कब तक यह धड़कन उसका ऐतबार करेगी।

बेवफाई का डर था तो प्यार क्यों किया; तनहाई का डर था तो इकरार क्यों किया; मुझसे मौत भी पूछेगी आने से पहले; कि जब पता था वो नहीं आने वाले; फिर भी तुमने उनका इंतजार क्यों किया।

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों होती है; जो नहीं मिलता उसी से मोहब्बत क्यों होती है; कितने खाएं हैं धोखे इस मोहब्बत की राहों में; फिर भी आँखें उसी के इंतज़ार में क्यों रोती हैं।