यूँ ही मुड़कर ना देखा होगा उन्होंने; अभी कुछ चाहत तो बाकी होगी; भले ही जी रहे होंगे कितने सुकून से वो; तड़पने के लिए हमारी बस एक याद ही काफी होगी।

साँस लेने से उसकी याद आती है; और ना लेने पे जान जाती है; कैसे कह दूँ की सिर्फ़ साँसों क सहारे जिंदा हूँ; कमब्खत साँस भी तो उसकी याद के बाद आती है।

दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ; प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ; इस दिल में दर्द नहीं यादें हैं उसकी; अब यादें ही मुझे दर्द दें तो उसे इलज़ाम क्या दूँ।

साथ हमारा चाहे पल भर का सही; पर वो पल ऐसे जैसे कोई कल नहीं; न हो ज़िन्दगी में शायद फिर मिलना हमारा; पर महकती रहेंगी तुम्हारी यादें हमारे संग यूँ ही!

सोचा याद ना करके थोड़ा तड़पायें उनको; किसी और का नाम लेकर जलायें उनको; पर कोई चोट उनको लगी तो दर्द हमें होगा; अब कोई ये बताये कि किस तरह सतायें उनको!

यादों की भीड़ में आप की परछाई सी लगती है; कानों में कोई आवाज़ एक शहनाई सी लगती है; जब आप करीब हैं तो अपना सा लगता है; वर्ना सीने में सांस भी पराई सी लगती है।

यादों की भीड़ में आप की परछाई सी लगती है; कानों में कोई आवाज़ एक शहनाई सी लगती है; जब आप करीब हैं तो अपना सा लगता है; वर्ना सीने में सांस भी पराई सी लगती है।

यादें अक्सर होती हैं सताने के लिए; कोई रूठ जाता है फिर मान जाने के लिए; रिश्ते निभाना कोई मुश्किल तो नहीं; बस दिलों में प्यार चाहिए उसको निभाने के लिए।

हमने काटी हैं तेरी याद में रातें अक्सर; दिल से गुज़री हैं सितारों की बारातें अक्सर; और कौन है जो मुझको तसल्ली देता; हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी बातें अक्सर।

ये प्यार की बातें किताबों में ही अच्छी लगती हैं; तन्हाई भरी महफ़िल दर्दे दिल से ही सजती है; तुम तो कर गए एक पल में पराया; तेरी यादें ही हैं जो हमें अपनी लगती हैं।