शुक्रिया आपका जो सिर्फ दिल तोड़ कर छोड़ दिया
तुम चाहते तो जान भी ले सकते थे

यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने
कि इल्जाम झूठे भले हैं पर लगाये तो तुमने हैं

तुम मेरी जिंदगी मे ऐसे शामिल हो..
जैसे मंदिर के दरवाजे पर बंधे हुए मन्नत के धागे...

कमीनेपन की तो बात ना कर दोस्त में उनमे से हूँ
जो मछली को भी डुबो डुबो के मारता हैं

मुझको मेरे वजूद की हद तक न जान पाओगे….
बेहद , बेहिसाब, बेमिसाल बेइन्तहा हूँ मैं.…!!!!

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

तेरे दीदार की तलाश में आते है तेरी गलियों में ...
वरना आवारगी के लिए पूरा शहर पड़ा हे ।

जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा

अखलाक से ही पहेचान होती है इंसानो की
महेंगे कपडे तो पुतले भी पहनते है दुकानों में

तेरी चाहत का ऐसा नशा चढ़ा है की
शायरी हम लिखते है और दर्द पुरी की पूरी महफिल सहती है

शेर को सवा शेर कही ना कही जरुर मिलता है,
और रही बात हमारी तो हम तो बचपन से ही शिकारी है..

अभी तो अच्छे लोगों का राज है दुनिया में
जब कमिँनोँ की बारी आयेगी तो बादशाह हम होंगे

गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ

जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह
ए खुदा फिर क्योँ सिर्फ मेरा ही दिल तड़पता है उसके लिए

मेरी मोहब्बत की ना सही, मेरे सलीके की तो दाद दे,
तेरा जिक्र रोज करते हैं तेरा नाम लिए बगैर...!!!