सिगरेट जलाई थी तेरी याद भुलाने को
मगर कम्बख्त धुए ने तेरी तस्वीर बना डाली

कड़वी बात है लेकिन सच है
हम किसी के लिए उस वक़्त तक स्पेशल है
जब तक उन्हें कोई दूसरा नहीं मिल जाता.

दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की; लोगों ने मेरे आँगन से रस्ते बना लिए।

सरहदों पर बहुत तनाव है क्या​;​​​​ कुछ पता तो करो चुनाव है क्या​;​​ खौफ बिखरा है दोनों समतो में​;​​ तीसरी समत का दबाव है क्या​।

लिख रहा हूँ अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा; मेरे लहू का हर एक क़तरा इंक़लाब लाएगा; मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि; मेरे बाद वतन पे मरने वालों का सैलाब आएगा।

आज इतना जहर पिला दो की मेरी साँस तक रूक जाए
सुना है कि साँस रूक जाए तो रूठे हुए यार भी देखने आते हैं

टूट जायेगी तुम्हारी ज़िद की आदत उस दिन
जब पता चलेगा की याद करने वाला अब याद बन गया

क्यों मरते हो यारो बेवफा सनम के लिए; दो गज़ ज़मीन भी नहीं मिलेगी तेरे दफ़न के लिए; मरना है तो मरो अपने वतन के लिए; हसीना भी दुपट्टा उतार देगी तुम्हारे कफ़न के लिए।

मुस्कुराने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमको
भुला दिया सब ने ये कह कर की तुम तो अकेले भी खुश रह लेते हो

पानी दरिया में हो या आँखों में​;​​​गहराई और राज़ दोनों में होते हैं​। ​

इंसान बहुत खुदगर्ज है.
जब आपको पसंद करता है,आपकी बुराई भूल जाता है!
और जब आपसे नफरत करता है,तो आपकी अच्छाई भूल जाता है!
=RPS

हर एक आगाज का अंजाम तय है
सहर कोई हो उसकी शाम तय है
हिरन सोने का चाहेगी जो सीता
बिछड़ जाएँगे उस से राम तय है

उसने पूछा क्या हाल है तुम्हारा मेरे बिना
मेने भी कह दिया जिंदगी में गम है गम में दर्द है
दर्द में मजा है और मजे मे हम है

एक ही चौखट पे सर झुके;तो सुकून मिलता है;भटक जाते हैं वो लोग;जिनके हजारों खुदा होते है।

कोई मुझसे पूछ बैठा बदलना किसे कहते है
सोच में पड़ गया हुँ मिसाल किस की दूं मौसम की या अपनों की