अपनों से दूर है अपनों की तलाश
ज़िन्दगी से दूर है ज़िन्दगी की तलाश
मैं अपने आप को कभी समझ नहीं पाया
कि मैं जी रहा हूँ ज़िन्दगी या हूँ एक जिंदा लाश

हम उबलते हैं तो भूचाल उबल जाते हैं; हम मचलते हैं तो तूफ़ान मचल जाते हैं; हमें बदलने की कोशिश करनी है ऐ दोस्तों; क्योंकि हम बदलते हैं तो इतिहास बदल जाते है।

शायर-ए-फ़ितरत हूँ मैं जब फ़िक्र फ़र्माता हूँ
तो रूह बन कर ज़र्रे-ज़र्रे में समा जाता हूँ
आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ
जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ

Pyar jab milta nahi toh hota hi kyun hain
Agar khwab such nahi hote to insaan sota kyu hai
Jb yahi pyar aankho ke samne kisi or ka ho jaye
Toh phir yeh pagal dil itnaa rotaa kyun hain

मेरा वक़्त कयामत की तरह है
याद रखना आएगा जरूर

सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भीअपनी जिद्द बनालो.!!

ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे
कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो

और भी बनती लकीरें दर्द की शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए !!

शेरों को कहना नया शिकारी आया हैं,
या तो हुकूमत छोड़ दे या जीना..

यूँ ही रूठे रहना तुम हम से
कसम से तुम रूठे हुये भी अच्छे लगते हो...

एक नींद है जो रात भर नहीं आती
और एक नसीब है जो ना जाने कब से सो रहा

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है

मैं तो गजल सुना के तन्हा खड़ा रहा
सब अपने-अपने चाहने वालों में खो गए

बताऊँ तुम्हे एक निशानी उदास लोगों की
कभी गौर करना ये हँसते बहुत है

वो आँखें झुक गयीं मुझे देख कर,
यकीनन उसने कभी मुझे चाहा तो ज़रूर होगा!