मुस्कान आपके होंठों से जाये कभी न; आँसू आँखों में आयें कभी न; दिल से दुआ हो कि हर सपना हो पूरा आपका; जो पूरा न हो वो सपना आये कभी न। शुभ रात्रि!

हर रिश्ते में विश्वास रहने दो; जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो; यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का; न खुद रहो उदास न दूसरों को रहने दो। शुभ रात्रि!

फूल खिलते रहे ज़िंदगी की राह में; हँसी चमकती रहे आपकी निगाह में; कदम-कदम पे मिले ख़ुशी की बहार आपको; यही दिल देता है दुआ बार-बार आपको। शुभ रात्रि!

आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं; हर वक़्त आपको ही याद करती हैं; जब तक ना कह दें शुभ रात्रि आपको जालिम; सोने से भी इंकार करती हैं। शुभ रात्रि!

चाँद ने चाँदनी को याद किया; प्यार ने अपने प्यार को याद किया; हमारे पास न चाँद है न चाँदनी; इसलिए हमने अपने प्यारे दोस्त को याद किया। शुभ रात्रि!

रात की चांदनी आपको सदा सलामत रखे; परियों की आवाज़ आपको सदा आबाद रखे; पूरी कायनात को खुश रखने वाला वो रब; आपकी हर एक ख़ुशी का ख्याल रखे। शुभ रात्रि!

जब शाम ढलने के बाद आती है रात; हर साँस में समा जाती है तेरी याद; बदलते हैं करवटें हम सारी रात; सोचते हैं कि आपको भी आती होगी हमारी याद। शुभ रात्रि!

पास आपके दुनिया का हर सितारा हो; दूर आपसे गम का हर किनारा हो; आँखे बंद कर जब सोने लगो आप; तो बंद आँखों में भी सामने आपके हसीन नज़ारा हो। शुभ रात्रि!

जब रात में आपको किसी की याद सताए; सुहानी हवा जब आपके बालों को सहलाये; तो कर लो आँखें बंद और सो जाओ; कहीं वो आपके ख्वाबों में ना आ जाये। शुभ रात्रि!

मिलने आयेंगे आपसे ख़्वाबों में; जरा रोशनी के दिए भुजा दीजिये; अब और नहीं होता इंतज़ार आपसे मुलाक़ात का; अपनी आँखों के पलके गिरा दीजिये। गुड नाईट!

अगर मंज़िल पानी है तो हौंसला साथ रखना; अगर प्यार पाना है तो ऐतबार साथ रखना; और अगर हमेशा मुस्कुराना है तो सोने से पहले हमें याद रखना। शुभ रात्रि!

दिल के सागर में लहरे उठाया न करो; ख्वाब बनकर नींद चुराया न करो; बहुत चोट लगती है मेरे दिल को; तुम ख़्वाबों में यूँ आकर तड़पाया न करो। शुभ रात्रि।

दिल के सागर मे लहरें उठाया ना करो; ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो; बहुत चोट लगती है मेरे दिल को; तुम ख़्वाबों में आ कर यूँ तडपाया ना करो। शुभ रात्रि!

दिल में जगह दी तो दिल तोड़ गए; बेपनाह मोहब्बत की तो बेवफ़ाई कर गए; तरस ना आया उन्हें हमारी वफाओं पर; इसलिए तड़पने के लिए तनहा छोड़ गए। शुभ रात्रि!

लफ़्ज़ों की तरह दिल की किताबों में मिलेंगे; या बनकर महक गुलाबों में मिलेंगे; मिलने के लिए ए दोस्त ठीक से सोना; आज रात हम आप को ख़्वाबों में मिलेंगे।