नमक की तरह हो गयी है जिंदगी
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं
नमक की तरह हो गयी है जिंदगी
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं
" बड़ा आदमी वो हे ,जो अपने पास बेठे व्यक्ति को छोटा मेहसूस ना होने दे.."
सारे ताबीज गले में पहन कर देख लिए
आराम तो बस तेरे दीदार से ही मिला !!!
न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..
जो ईश्वर के सामने झुकता है
ईश्वर उसे किसी के सामने झुकने नही देता
हो रही है साजिश मेरी बर्बादी की
कर रहे बुजुर्ग बातें मेरी शादी की
प्रेम तब तक सिर्फ एक शब्द भर है
जब तक आप इसका
अहसास नहीं कर लेते।
बेबस लाचार होना किसे कहते है
आस्था चैनल चल रहा हो और रिमोट खो जाये
जब मोहब्बत हो ना किसी को तो याद रखना
शुरुवात झूठे वादों से होती है
इतनी क्या जल्दी है मुझे छोड़ने की
अभी तो हद बाकी है मुझे तोड़ने की
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं
मांग लूँ यह मन्नत की फिर वही जहाँ मिले, फिर वही गोद, फिर वही माँ मिले...
जिस घाव से खून नहीं निकलता
समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
तमाम लोग मेरे साथ थे मगर मैं तो....
तमाम उम्र तुम्हारी कमी के साथ रहा....