आज कल अपना लास्ट सीन तक छुपा लेते हे लोग
दिल क्या ख़ाक दिखायेंगे

दिल से छूटता ही नही ख्याल उनका
दिल रोज़ पूछता है मुझसे हाल उनका

दामन पर मेरे पैबंद बहुत हैं
मगर खुदा का शुक्र है धब्बा कोई नहीं

तमाम उम्र चले उनके साथ हमसफर बनकर
फिर भी हर मोड़ पर एक फासला रहा

आपकी घड़ी कितनी भी कीमती हो
वक़्त तो ऊपर वाले के हिसाब से चलता हैं

फरियाद कर रही है तरसी हुई निगाह
किसी को देखे हुये अरसा हो गया है

सिर्फ दो ही वक़्त पर तेरा साथ
चाहिए एक तो अभी और एक हमेशा के लिये

रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा…
मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो…!

मेरे दिल से खेल तो रहे हो पर
ज़रा संभल के टूटा हुआ है कहीं लग ना जाए

थी जिसकी मौहब्बत में मौत भी मंजुर
आज उसकी नफरत ने जिना सिखा दिया

तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं

नाम से नाम नहीं जुड़ा करते बुद्धु
दिल से दिल जुड़ा करते हैं समझे

मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था...!!!

वो मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी
परेशान पति का कोई मज़हब नहीं होता