किसी ने मुझसे पूछा कैसी है अब जिंदगी
मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया वो खुश है
किसी ने मुझसे पूछा कैसी है अब जिंदगी
मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया वो खुश है
तुम मेरे रास्तों को नहीं मोड़ सकते
क्यों की मैं मोड़ पर ही रास्ता बनाता हूँ
ज़माने गुजर गए हमे अमीर होते होते
वो बिक चुके थे जब खरीदने के काबिल हुए हम
मसला तो तेरे मेरे दरमियान था ऐ मोहोब्बत
फ़िर ये ज़माना बीच मे कहाँ से आ गया
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हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई ...!!!
उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है
भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है
स्याही में थोड़ी सी, अश्कों की मिलावट है
तमाम उम्र इसी बात का गुरुर रहा मुझे
किसी ने मुझसे कहा था की हम तुम्हारे है
तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है
मैंने पूछा क्यूँ आये.. मेरी जिंदगी में..??
पास आये और धीरे से बोले दिल दुखाने...
तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है
मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं
सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पर उतार कर
चीख भी लेती हूँ और आवाज भी नहीं होती
सुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो