फ़िज़ाओं का मौसम जाने पर बहारों का मौसम आया; गुलाब से गुलाब का रंग तेरे गालों पे आया; तेरे नैनों ने काली घटा का काजल लगाया; जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया।

तुझे पाने की इस लिए ज़िद्द नहीं करते; क्योंकि तुझे खोने को दिल नहीं करता; तू मिलता है तो इसलिए नहीं देखते तुझको; क्योंकि फिर इस हसीं चेहरे से नज़रें हटाने को दिल नहीं करता।

वो खिलते हुए गुलाब सा है कि उस का किरदार आब सा है; कोई मुस्सवर जो देखे उस को यही कहे लाजवाब सा है; हया की ज़िंदा मिसाल है वो मगर यह कमबख्त पर्दा देखो; देखने से रोकता है इस हुस्न को चेहरे पर यह जो नक़ाब सा है।