लङकियों को Limit में रहना चाहिए
बाकि Unlimited तो मेरा Net pack भी है

मेरी नीँदे उड़ाने वाले . . . .
अब तेरे ख्वाब कौन देखेगा .

जब भी होती है गुफ्तगु खुद से
तेरा जिक्र जरूर आता है

मै उन्हे बदला हुआ दिखता हुँ
कभी वो खुद को भी तो देखे

एक मैं हूँ किया ना कभी सवाल कोई
एक तुम हो जिसका कोई जवाब नहीं

मनाने का रिवाज़ उसकी किताब में नहीं था
मैं रूठा तो वो चली गयी ...!!!

सुना है की समन्दर को बहुत गुमान आया है,,.
उधर ही ले चलो कश्ती जिधर तूफ़ान आया है.,.!!!

उसने मेरे हाथ की लकीरें देखी और फिर हँस कर कहा
तुझे ज़िन्दगी में सब कुछ मिलेगा एक मेरे सिवा

कमाल का हौंसला दिया है ऊपर वाले ने हम इंसानों को
वाकिफ अगले पल से भी नहीं और अचार पूरे साल के लिए डाल लेते हैं

मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान
अक्सर मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है

मै मज़बूत बहोत हु
लेकिन पत्थर नहीं….।।

मुद्दतो बाद उस लापरवाह ने, हाल पूछ के बेहाल कर दिया..

जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है

सबूत गूनाहो के होते हैं,
बेगुनाह मुहब्बत का क्या सबूत दू ?

झूठ भी बड़ी अजीब चीज है..
बोलना अच्छा लगता है ...
सुनना बुरा.........