जब वक़्त करवट लेता हैं ना दोस्तों
तो बाजियाँ नहीं जिंदगियाँ पलट जाती है

वो जो औरों को बताता है जीने के तरीके ,
खुद मुट्ठी में मेरी जान लिए फिरता है .

सिलवटें ही सिलवटें थी बिस्तर पर सुबह
यादों की करवटें ही करवटें थी रात भर

मोहब्बत के नये मायने ढूंढने पड़ेंगे
उसने कहा तू जो करता है वो मोहब्बत नही

तुम्हारी शर्तो से शहेनशाह बनने से बहेतेर हे
की अपनी शर्तो पे फ़क़ीर बन जाऊ

ज़िन्दगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों करूँ
शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं

फिर उसने मुस्कुरा के देखा मेरी तरफ़
फिर एक ज़रा सी बात पर जीना पड़ा मुझको

"ऐसा कोई शहर नही जहा हमारा कहर नहीँ..,
ऐसी कोई
गली नही जहा हमारी चली नहीं.."

तुम मेरे रास्तों को नहीं मोड़ सकते
क्यों की मैं मोड़ पर ही रास्ता बनाता हूँ

ज़िन्दगी का ये हूनर भी आज़माना चाहिए
जंग अगर अपनो से हो तो हार जाना चाहिए

इश्क मुहब्बत क्या है मुझे नही मालूम
बस तुम्हारी याद आती है सीधी सी बात है

कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे

भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है
स्याही में थोड़ी सी, अश्कों की मिलावट है

तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है