आँखों से पानी गिरता है तो गिरने दीजिये
कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी

तुमने तो कहा था मुझे हर पल याद करोगे.,
फिर मेरी हिचकियां बंध क्यूँ हो गयी.!!

याद उसकी जो आती है तो बरसते हैं आंसू
बेवफाई और मुहब्बत कौन समझाए इन्हें

इतना मगरूर मत बन मुझे वक्त कहते हैं
मैंने कई बादशाहो को दरबान बनाया हैं

दूर गगन में उड़कर भी..लौट आते हैं..!
परिंदे इन्सान की तरह बेपरवाह नही होते...

ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे
पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे

ख्वाब आँखों से गये नींद रातों से गयी
तुम गये तो लगा जिन्दगी हाथों से गयी

“नसीब का लिखा तो मील ही जायेगा,
या रब,
देना हे तो वो दे जो तकदीर मे ना हो”..!!!

जिंदगी में ये हुनर भी आजमाना चाहिए
अपनों से अगर हो जंग तो हार जाना चाहिए

मेरे लफ्जों की पहचान अगर वो कर लेता
उसे मुझसे नही खुद से मोहब्बत हो जाती

ए मौत जितनी ताकत है उतनी लगाले
मुझे पाने के लिए तुजे भी दुआ माँगनी पड़ेगी

न चाहते हुए भी उसे छोड़कर आना पड़ा
वो इम्तिहान में ना आने वाले सवाल जैसा था

इक बात कहूँ इश्क बुरा तो नहीँ मानोगे
बङी मौज के थे दिन तेरी पहचान से पहले

तू मिली नही मझको ये मुकद्दर की बात है
बड़ा सुकून पाता था तम्हे अपना सोचकर

कितनी अजीब है मेरे अन्दर की तन्हाई भी
हजारो अपने है मगर याद तुम ही आते हो