जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है
एक समन्दर मेरी आँखों से बहा करता है

ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख
तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया

रहता तो नशा तेरी याद का ही हे
मगर कोई पूछता हे तो कह देते हे पि रखी हे
G.R..s

सितम सब सह लिए तेरे दिल और रूह ने पर
थोड़ा स्वाभिमान अभी बाकी है मुझमें

तुम्हे कया पता किस दर्द में हुँ में
जो कभी लिया नही उस कर्ज में हुँ में

लोग तो लिखते रहे मेरी पर ग़ज़ल
तुमने इतना भी ना पूछा, तुम उदास क्यों हो

सलीका हो अगर भीगी हुई आँख पढने का
तो बहते हुए आँसू भी अकसर बात करते हैं

तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से
मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है

ऐ खुदा मुसीबत मैं डाल दे मुझे
किसी ने बुरे वक़्त मैं आने का वादा किया है

हम तो फिरते थे उसकी तस्वीर ले लेकर दर बदर
उसे आज तक ना प्यार दिखाना आया

जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना

रगों मे दौडने फिरने के नहीं हम कायल
जो आॅख से ही न टपके वो आंंसू क्या है

पतंग सी हैं जिंदगी कहाँ तक जाएगी
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी

जिन लम्हो का जिक्र आज तू हर एक से करती है
उनसे रुबरु तो हमने कराया था ना

रोने से अगर वो मिल जाये तो
भगवान की कसम ईस धरती पे सावन की बरसात लगा दूँ