लफ्ज...अल्फाज...कागज़ और किताब...!
कहां- कहां रखा हमने तेरी यादों का हिसाब...!!

‪मुहाँब्बत‬ रहे ना रहे पर
स्कुल‬ की बेंन्च पर तेरा ‪नाम‬ आज भी है
G.R..ss

हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!

हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!

नज़र-नज़र का फर्क है, हुस्न का नहीं ;
महबूब जिसका भी हो बेमिसाल होता है !!

SuN pagli वो तो बस ÐiL की ख्वाहिश थी तू
वरना मेरे शौक तो आज भी तेरी औकात से बङे हैं

आज मुस्कुराने की हिम्मत नहीं मुझ में..
आज टूट कर मुझे तेरी याद आ रही है..!!

क्यूँ ना सज़ा मिलती मुझे इश्क़ में
तोड़े दिल मैंने भी बहुत थे तेरी खातिर

जिस घाव से खून नहीं निकलता,,
समज लेना वो ज़ख्म किसी
अपने ने ही दिया है...!!!

पगली तेरी ख़ामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रेहने दे, इश्क़ कोनसा जरुरी है. . .

सुनो तुम चाय अच्छी बनाती हो पर
मुंह बनाने मे भी तुम्हारा कोई जवाब नही

ये तो मेरा अंदाज हैं प्यारा सा पगली
हुनर तो तब दीखेगा जब मुकाबला होगा

सुख सुविधा के कर लिये जमा सभी सामान
कौड़ी पास न प्रेम की बनते है धनवान

मोतियों को तो बिखर जाने की आदत है
लेकिन धागे की ज़िद होती है पिरोए Rakhne की

हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम