रहने दें जरा गुंजाईश अपनी बेरूखी में
इतना ना तोड़ के मैं फिर जुड़ ना पाऊँ
रहने दें जरा गुंजाईश अपनी बेरूखी में
इतना ना तोड़ के मैं फिर जुड़ ना पाऊँ
कौन कहता है दर्द सिरफ मोहब्बत में मिलता है
धूप में खड़ी बाईक पर बैठ कर देखो
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी..
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़ककर..
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर
मुझे ढूंढने की कोशिश न किया कर पगली
तूने रास्ता बदला मैंने मंज़िल ही बदल दी
er kasz
इतनी जल्दी तो मेरी वाली का रिप्लाई भी नहीं आता
जितनी जल्दी जल्दी भूकंप आ रहा है
मेरे attitude पर मत जाना तुम्हारे समझ नही आएगा
दिल से मत समझना वरना दिल ही निकाल जायेगा
तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते
इश्क के रिश्ते भी बड़े नाजुक होते है दोस्तो,
रात को नम्बर बिजी आने पर भी टूट जाते है..
रोज स्टेटस बदलने से जिंन्दगी नहीं बदलती
जिंदगी को बदलने के लिये एक स्टेटस काफी है
कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का
लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की
मैं थोड़ी देर तक बैठा रहा उसकी आँखों के मैखाने में;
दुनिया मुझे आज तक नशे का आदि समझती है...
तरस जाओगे हमारे लबो से सुनने को एक एक लफ्ज
प्यार की बात तो क्या हम शिकायत भी नहीं करेंगे
जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह
ए खुदा फिर क्यू सिर्फ मेरा ही दिल तडफता है उस के लिये
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं मेरी बुराई ना सुन सके