इतनी एहमियत तो बना ली है दोस्तों मै
मेला लग जायेगा समसान मैं जब हम जायेगे आसमान मैं

जाने क्यूँ अपने हुस्न पर इतना गुरूर है उसे लगता है
उसका आधार कार्ड अब तक नहीं बना है

मुझे जिंदगी का तजूर्बा तो नहीं पर इतना मालूम है
छोटा इंसान बडे मौके पर काम आ सकता है

वो ‪महफिल‬ में अपनी ‎वफ़ा‬ का जिक्र कर रही थी,
जब नजर ‪मुझ‬ पर पड़ी तो बात ही ‪बदल‬ दी

पटाने को हम भी पटा लें मुहल्ले क़ी सारी लडकियाँ
पर हमें इश्क का शौक है आवारगी का नही

सिमटते जा रहें हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते
सौदा करने मे जो माहिर है बस वही धनवान है

तू मिले या ना मिले ये मेरे मुकद्दर कि बात है मगर
सुकून बहुत मिलता है तूझे अपना सोच कर

रात पूरी जाग कर गुजारूं तेरी खातिर
एक बार कह कर तो देख मुझे भी तेरे बिना नींद नही आती

सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का
एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं

उस वक़्त , उसके दिल में भी , बहुत दर्द उठेगा ......
हमसे बिछड़ के , जब हमारे , हमनाम मिलेंगे ........!!"

मेरा यही अन्दाज इस जमाने को खलता है
की ये साला इतना टुटने के बाद भी सीधा कैसे चलता है

हवा खिलाफ थी लेकिन, चिराग भी क्या खूब जला
खुदा भी अपने होने के क्या क्या सबूत देता है

हम ना पा सके तुझे मुदतो के चाहने के बाद
ओर किसी ने अपना बना लिया तुझे चंद रसमे निभा के

शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…

कुछ कर गुजरने की चाह में, कहाँ कहाँ से गुजरे
अकेले ही नज़र आये हम, जहां जहां से गुजरे…