संस्कार की बात मत कर पगली तू
हम तो Temple Run भी चप्पल उतार के खेलते हे

तकदीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी;
तकदीर में किसी और का नाम लिखा था;
और दिल में चाहत किसी और की भर दी! Er kasz

शांत बैठा हुँ तो ये मत समझना, कि आग नही है मेरे अंदर,
डरता हुँ कही सागर कम ना पड़ जाये, बुझाने के लिये....||

ना पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहाँ तक है; तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है; वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी; हमें तो देखना है तू बेवफ़ा कहाँ तक है।

दिखावा मत कर शहर मे शरीफ होने का . . .
लोग खामोश तो है. पर नासमझ नही ..

प्यार कहा किसी का पूरा होता है ,
प्यार का तो पहला अक्षर ही अधूरा होता है !!

एक बेवफा के ज़ख्मों पर मरहम लगाने हम गए; मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए।

यूं मेरी मजबूरियो को मेरी बदकिस्मती मत समझना
क्योंकि हम उन राहो से भी गुजरे है जहां किस्मत तो क्या साया भी साथ नहीं देता

मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो
क्या उसे नहीं मालूम की उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता

साला प्यार भी अजीब होता है
जिससे होता है उसको छोड़कर पूरे मोहल्ले को पता होता है

रिश्ते हमेशा तितली जैसे होते हैं
जोर से पकड़ो तो मर जाते हैं
छोड़ दो तो उड़ जाते हैं
अगर प्यार से पकड़ो तो अपना रंग छोड़ जाते हैं

एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही

दम नहीं किसी में जो मिटा सके हमारी हस्ती को
जंग तलवारो को लगती है नेक इरादो को नहीं

जनाजा मेरा उठ रहा था फिर भी तकलीफ थी उसे आने में
बेवफा घर बैठी पूछ रही थी और कितनी देर है दफनाने में

SuN pagli वो तो बस ÐiL की ख्वाहिश थी तू
वरना मेरे शौक तो आज भी तेरी औकात से बङे हैं