शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी मुझे
जरा सी आँख बंद क्या हुई वो कब्र खोदने लगे

मौत को देखा तो नहीं,
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी,
कम्बख़त जो भी उस से मिलता है, जीना छोड़ देता है..

मत पूछ मेरे सब्र की इन्तेहा कहाँ तक है; तु सितम कर ले तेरी ताक़त जहाँ तक है; व़फा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी; हमें तो देखना है तू ज़ालिम कहाँ तक है!

इतना भी मतलबी न हो यार किसी का
जब चाहा प्यार किया, जब चाहा भुला दिया.

इश्क़ का दस्तूर ही कुछ ऐसा है
जो इसे जान लेता है
ये साला उसी की जान लेता है

दोस्त को दौलत की निगाह से मत देखो
वफा करने वाले दोस्त अक्सर गरीब हुआ करते है

मुझको मेरे वजूद की हद तक न जान पाओगे….
बेहद , बेहिसाब, बेमिसाल बेइन्तहा हूँ मैं.…!!!!

दर्द भी तुम दवा भी तुम इबादत भी तुम खुदा भी तुम
चाहा भी तुमको और पाया भी नहीं जुदा भी तुम और साथ भी तुम

मुहब्बत में सच्चा यार न मिला
दिल से चाहे हमें वो प्यार न मिला
लूटा दिया उसके लिए सब कुछ मैने
मुसीबत में मुझे मददग़ार न मिला

उसके चेहरे पर इस कदर नूर था; कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था; बेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़; प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।

तुम लौट के आने की तकलीफ मत करना.....हम एक महोब्बत दो बार नहीं करते...

मेरा टूटना बिखरना एक इत्तेफाक नही…
बहुत मेहनत की है एक शख्स ने इसकी खातिर

मैं उस किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ
वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए

बहुत थक सा गया हूँ खुद को साबित करते करते , मेरे तरीके गलत हो सकते है मगर मेरी मोहब्बत नही ।

कसम से तुझे पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी
मगर मुझे तुझसे दुर करने की दुआ करने वाले ज्यादा निकले