पतंग सी है जिंदगी कहा तक जायेगी...
रात हो या उम्र एक न एक दिन कट जायेगी..!!

ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की,
वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की…

लोग तो लिखते रहे मेरी पर ग़ज़ल
तुमने इतना भी ना पूछा, तुम उदास क्यों हो

अंगुलिया टूट गई पत्थर तराशते तराशते; जब बनी सूरत यार की तो खरीददार आ गये!

ये जलजले यूँ ही बे.सबब नहीं आते
ज़रूर ज़मीन के नीचे कोई दीवाना तड़पता होगा

ना छोड़ना मेरा साथ ज़िन्दगी में कभी
शायद मैं ज़िंदा हूँ तेरे साथ की वजह से

यहा वक्त पर आनेवाले की कोई किमत नही होती
देर से आने वालो को लोग Super Star कहते है

ना जीने का शौक है मरने की तलब रखते हैं
दीवाने हैं हम दीवानगी गजब रखते हैं

न चाहते हुए भी उसे छोड़कर आना पड़ा
वो इम्तिहान में ना आने वाले सवाल जैसा था

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत,
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा
तो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते

जो भी आता है एक नयी चोट देकर चला जाता है
मैं मजबूत बहुत हूँ लेकिन पत्थर तो नही

मुझे अपने किरदार पे इतना तो यकीन है की
कोई मुझे छोड़ सकता है लेकिन भूल नही सकता

माना की तु किसी बेगम से कम नही
but तेरी baat में तब तक dum नहीं
जब तक तेरे बादशाह हम नहीं

कमीनेपन की तो बात ना कर दोस्त
में उनमे से हूँ जो मछली को भी डुबो डुबो के मारता हे