हर दूरी मिटानी पड़ती है; हर बात बतानी पड़ती है; लगता है दोस्तों के पास वक्त ही नहीं है; आजकल खुद अपनी याद दिलानी पड़ती है।

सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती! न करेंगे किसी से वादा! पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा की करना पड़ा दोस्ती का वादा!

आपकी पलकों पर रह जाये कोई! आपकी सांसो पर नाम लिख जाये कोई! चलो वादा रहा भूल जाना हमें! अगर हमसे अच्छा दोस्त मिल जाये कोई!

करो कुछ ऐसा दोस्ती में की ‘Thanks & Sorry’ words बे-ईमान लगे
निभाओ यारी ऐसे के ‘यार को छोड़ना मुश्किल’
और दुनिया छोड़ना आसान लगे..!

जमाने से कब के गुजर गए होते
ठोकर न लगी होती तो बच गए होते
बंधे थे बस तेरी दोस्ती के धागे में
वरना कब के बिखर गए होते

ज़िक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का; हमने खुद को खुशनसीब पाया; तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की; खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया।

सोचा था न करेंगे किसी से दोस्ती; न करेंगे किसी से वादा; पर क्या करे दोस्त मिला इतना प्यारा; कि करना पड़ा दोस्ती का वादा।

बादल गरजा मगर बरसात नहीं आई
दिल घड्का मगर आवाज नहीं आई
पूरा दिल गुजरने को है दोस्त
क्या एक बार भी मेरी याद नहीं आई

दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है; दोस्त ना हो तो महफ़िल भी शमशान है; सारा खेल दोस्ती का है वरना; जनाज़ा और बारात एक समान है।

इंसान को अगर दोस्त ना मिलते तो इस बात को समझना कितना मुश्किल होता की अजनबी लोग भी अपनों से ज़्यादा प्यारे हो सकते हैं।

बरसात आये तो ज़मीन गीली न हो; धूप आये तो सरसों पीली न हो; ए दोस्त तूने यह कैसे सोच लिया कि; तेरी याद आये और पलकें गीली न हों।

दोस्ती इंसान की ज़रुरत है; दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है; आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ; वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है।

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है! दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है! आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ! वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!

मुझे नही पता कि मैं एक बेहतर दोस्त हूँ या नही
लेकिन
मुझे पूरा यकीन है कि जिनके साथ मेरी दोस्ती है वे बहुत बेहतरीन हैं

दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है; दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है; आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ; वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है।