जिए हुए लम्हों को ज़िन्दगी कहते हैं; जो दिल को सुकून दे उसे ख़ुशी कहते हैं; जिसके होने की ख़ुशी से ज़िन्दगी मिले; ऐसे रिश्ते को दोस्ती कहते हैं।

विश्वास की एक डोरी है दोस्ती; विश्वास के बिना कोरी है दोस्ती; बहुत प्यारी है दोस्ती; ना मानो तो कुछ भी नहीं; मानो तो रब की भी कमजोरी है दोस्ती!

ज़िन्दगी नहीं हमें दोस्तों से प्यारी! दोस्तों पर हाज़िर है जान हमारी! आँखों में हमारी आँसू है तो क्या! जान से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी!

कभी न कभी तो बहारों के फूल मुरझा जायेंगे; भूले भी कभी हम तुम्हें याद आयेंगे; एहसास होगा तुम्हें मेरी दोस्ती का जब तब हम बहुत दूर चले जायेंगे!

दिल में इंतजार की लकीर छोर जायेगे
आँखों में यादो की नमी छोर जायेगे
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन
जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोर जायेगे

दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तेफाक है; ये तो दो दिलों की मुलाक़ात है; दोस्ती नहीं देखती की ये दिन है की रात है; इसमें तो सिर्फ वफादारी और जज़्बात है।

क्यों मुश्किलों में साथ देते हैं दोस्त; क्यों गम को बांट लेते हैं दोस्त; न रिश्ता खून से न रिवाज से बंधा; फिर भी जिंदगी भर साथ देते हैं दोस्त।

मेरे लिए मेरी जान है तेरी दोस्ती; ज़िन्दगी का हर अरमान है तेरी दोस्ती; ना कोई गिला ना कोई शिकवा है किसी से; मुझ पर खुदा का एहसान है तेरी दोस्ती।

ठोकर ना लगा मुझे पत्थर नही हु मै
हैरत से ना देख कोई मंज़र नै हु मै
उनकी नज़र में मेरी कदर कुछ भी नही
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नही हु मै

हर वक़्त तुम्हें मेरी याद सताएगी; दुःख के वक़्त मेरी दोस्ती ही याद आएगी; तब जानोगे हमारी दोस्ती की कदर; जब हमारी ज़िंदगी से सांसे ही रूठ जाएंगी।

कुछ दोस्त ज़िन्दगी में इस तरह शामिल हो जाते है; अगर भुलाना चाहो तो और याद आते है; बस जाते ही वो दिल में इस तरह कि आँखे बंद करो तो सामने नज़र आते है!

हर कर्ज़ दोस्ती का अदा कौन करेगा; जब हम ही नहीं रहेंगे तो दोस्ती कौन करेगा; ऐ खुदा मेरे दोस्त को सदा सलामत रखना; वरना मेरे जीने की दुआ कौन करेगा।

दोस्ती का रिश्ता दो अंजानो को जोड देता है,
हर कदम पर जिन्दगी को नया मोड देता है,
सच्चा दोस्त साथ देता है तब,
जब अपना साया भी साथ छोड देता है.

दोस्ती इम्तिहान नही विश्वास मांगती है
नज़र और कुछ नही दोस्त का दीदार मांगती है
ज़िंदगी अपने लिए कुछ नही पर आपके लिए दुआ हज़ार मांगती है

हम तो तेरे दिल की महफिल सजाने आऐ थे
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आऐ थे
किस बात की सज़ा दी तुने हमको बेवफा

हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आऐ थे