कठिन है राह-गुज़र​...​​ ​​​​​ ​​कठिन है राह-गुज़र थोड़ी देर साथ चलो​;​ बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी देर साथ चलो​;​​​ ​​ तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है;​ ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो​;​ ​​ नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं;​ बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो।

कोई सूरत निकलती... कोई सूरत निकलती क्यों नहीं है; यहाँ हालत बदलती क्यों नहीं है; ये बुझता क्यों नहीं है उनका सूरज; हमारी शमा जलती क्यों नहीं है; अगर हम झेल ही बैठे हैं इसको; तो फिर ये रात ढलती क्यों नहीं है; मोहब्बत सिर को चढ़ जाती है अक्सर; मेरे दिल में मचलती क्यों नहीं है।

रूह प्यासी... रूह प्यासी कहाँ से आती है; ये उदासी कहाँ से आती है; दिल है शब दो का तो ऐ उम्मीद ; तू निदासी कहाँ से आती है; शौक में ऐशे वत्ल के हन्गाम; नाशिफासी कहाँ से आती है; एक ज़िन्दान-ए-बेदिली और शाम; ये सबासी कहाँ से आती है; तू है पहलू में फिर तेरी खुशबू; होके बासी कहाँ से आती है।

अब कहाँ रस्म... अब कहाँ रस्म घर लुटाने की; बरकतें थी शराब ख़ाने की; कौन है जिससे गुफ़्तुगु कीजे; जान देने की दिल लगाने की; बात छेड़ी तो उठ गई महफ़िल; उनसे जो बात थी बताने की; साज़ उठाया तो थम गया ग़म-ए-दिल; रह गई आरज़ू सुनाने की; चाँद फिर आज भी नहीं निकला; कितनी हसरत थी उनके आने की।

अपनी यादें... अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गये; जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गये; मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने; जैसे कुछ जरुरी था जो वो हमें बताना भूल गये; वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था हमारी बेबसी पर; उनके आंसू तो वहीं रह गये वो बाहर ही आना भूल गये।

मुहब्बत में करे क्या... मुहब्बत में करे क्या कुछ किसी से हो नहीं सकता; मेरा मरना भी तो मेरी ख़ुशि से हो नहीं सकता; न रोना है तरीक़े का न हँसना है सलीक़े का; परेशानी में कोई काम जी से हो नहीं सकता; ख़ुदा जब दोस्त है ऐ दाग़ क्या दुश्मन से अंदेशा; हमारा कुछ किसी की दुश्मनी से हो नहीं सकता।

​​आज दिल से​​... आज दिल से दुआ करे कोई; हक़-ए-उलफ़त अदा करे कोई; जिस तरह दिल मेरा तड़पता है; यूँ न तड़पे ख़ुदा करे कोई; जान-ओ-दिल हमने कर दिए​ कुर्बान; वो न माने तो क्या करे कोई; मस्त नज़रों से ख़ुद मेरा साकी; फिर पिलाए पिया करे कोई; शौक-ए-दीदार दिल में है दर्शन ; आ भी जाए ख़ुदा करे कोई।​

दर्द अपनाता है... दर्द अपनाता है पराए कौन; कौन सुनता है और सुनाए कौन; कौन दोहराए वो पुरानी बात; ग़म अभी सोया है जगाए कौन; वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं; कौन दुख झेले आज़माए कौन; अब सुकूँ है तो भूलने में है; लेकिन उस शख़्स को भुलाए कौन; आज फिर दिल है कुछ उदास उदास; देखिये आज याद आए कौन।

दुःख देकर सवाल... दुःख देकर सवाल करते हो; तुम भी जानम! कमाल करते हो; देख कर पूछ लिया हाल मेरा; चलो कुछ तो ख्याल करते हो; शहर-ए दिल में ये उदासियाँ कैसी; ये भी मुझसे सवाल करते हो; मरना चाहें तो मर नहीं सकते; तुम भी जीना मुहाल करते हो; अब किस-किस की मिसाल दूँ तुम को; हर सितम बे-मिसाल करते हो।

आपको देखकर... आपको देखकर देखता रह गया; क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया; उनकी आँखों में कैसे छलकने लगा; मेरे होंठों पे जो माजरा रह गया; ऐसे बिछड़े सभी राह के मोड़ पर; आखिरी हमसफ़र रास्ता रह गया; सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है ये; जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया! अनुवाद: कू-ए-तमन्ना = इच्छाओं की गली

​दुःख देकर सवाल... दुःख देकर सवाल करते हो; तुम भी जानम! कमाल करते हो; देख कर पूछ लिया हाल मेरा; चलो कुछ तो ख्याल करते हो; शहर-ए दिल में ये उदासियाँ कैसी; ये भी मुझसे सवाल करते हो; मरना चाहें तो मर नहीं सकते; तुम भी जीना मुहाल करते हो; अब किस-किस की मिसाल दूँ तुम को; हर सितम बे-मिसाल करते हो।

अक्सर मिलना ऐसा हुआ बस; लब खोले और उसने कहा बस; तब से हालत ठीक नहीं है; मीठा मीठा दर्द उठा बस; सारी बातें खोल के रखो; मैं हूं तुम हो और खुदा बस; तुमने दुख में आंख भिगोई; मैने कोई शेर कहा बस; वाकिफ़ था मैं दर्द से उसके; मिल कर मुझसे फूट पड़ा बस; इस सहरा में इतना कर दे; मीठा चश्मा पेड़ हवा बस।

अश्क आंखों में... अश्क आँखों में कब नहीं आता; लहू आता है जब नहीं आता; होश जाता नहीं रहा लेकिन; जब वो आता है तब नहीं आता; दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश; गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता; इश्क का हौसला है शर्त वरना; बात का किस को ढब नहीं आता; जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम; हर सुखन ता बा-लब नहीं आता।

यूँ तो यारो यूँ तो यारो थकान भारी है; फिर भी ख़ुद की तलाश जारी है; हम में हर इक में इक परिन्दा है; और हर इक में इक शिकारी है; लोग दुनिया में दुख से मरते हैं; और दुख से हमारी यारी है; कितने ख़ुश हैं उन्हें कहाँ मालूम; हमने क़स्दन ये बाज़ी हारी है; दिल को बेमोल बेच आए हम; अपनी-अपनी दुकानदारी है।

राहे-दूरे-इश्क़... राहे-दूरे-इश्क़ से रोता है क्या; आगे-आगे देखिए होता है क्या; सब्ज़ होती ही नहीं ये सरज़मीं; तुख़्मे-ख़्वाहिश दिल में तू बोता है क्या; क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है; यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या; ग़ैरते-युसुफ़ है ये वक़्ते-अज़ीज़; मीर इसको रायगाँ खोता है क्या।