एक अजीब सी हालत है... एक अजीब सी हालत हैं तेरे जाने के बाद; भूख ही नहीं लगती खाना खाने के बाद; मेरे पास 8 समोसे थे जो मैंने खा लिए; 1 तेरे आने से पहले 7 तेरे जाने के बाद; नींद ही नहीं आती मुझे सोने के बाद; नज़र कुछ नहीं आता आँखे बंद होने के बाद; डॉक्टर से पूछा इसका इलाज़ दी 4 टैबलेट; बोला खा लेना 2 जागने से पहले 2 सोने के बाद।

मिलकर जुदा हुए... मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम; एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम; आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर; मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम; जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी; जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम; गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी क़तील ; साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम।

रौशन जमाल-ए-यार... रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम; देखा हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमाम; हैरत गुरुर-ए-हुस्न से शोखी से इज़तराब; दिल ने भी तेरे ​सीख लिए हैं चलन तमाम; अल्लाह रे हुस्न-ए-यार की खूबी के खुद-ब-खुद; रंगीनियों में डूब गया पैरहान तमाम; देख तो हुस्न-ए-यार की जादुई निगाहें; बेहोश एक नज़र में हुई अंजूमन तमाम।

मिलकर जुदा हुए... मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम; एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम; आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर; मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम; जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी; जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम; गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी क़तील ; साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम।

मिलकर जुदा हुए तो... मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम; एक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम; आँसू छलक छलक के सतायेंगे रात भर; मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम; जब दूरियों की आग दिलों को जलायेगी; जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम; गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी क़तील ; साहिल पे कश्तियों को डूबोया करेंगे हम।

बेवक्त जाऊँगा तो... बेवक्त जाऊँगा तो सब चौंक पडेंगे; इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा; जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे नज़र है; आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा; ये फूल कोई मुझको विरासत में मिले हैं; तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा; खत ऐसा लिखा है के नगीने जड़े हैं; वो हाथ के जिसने कभी ज़ेवर नहीं देखा।

इसी में ख़ुश हूँ... इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है; चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है; ज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्त; क़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता है; न जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जाये; दिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता है; मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की; भरी बहार में जैसे मकान ढहता है।

तुने ये फूल जो... तुने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा है; एक दिया है जो अँधेरों में जला रखा है; जीत ले जाये कोई मुझको नसीबों वाला; ज़िन्दगी ने मुझे दाओ पे लगा रखा है; जाने कब आये कोई दिल में झाँकने वाला; इस लिये मैंने ग़िरेबाँ को खुला रखा है; इम्तेहाँ और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगे; मैंने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है।

बहुत तारीक सहरा हो गया... बहुत तारीक सहरा हो गया है; हवा का शोर गहरा हो गया है; किसी के लम्स का ये मोजज़ा है; बदन सारा सुनहरा हो गया है; ये दिल देखूँ कि जिस के चार जानिब; तेरी यादों का पहरा हो गया है; वही है ख़ाल-ओ-ख़द में रौशनी सी; पे तिल आँखों का गहरा हो गया है; कभी उस शख़्स को देखा है तुम ने; मोहब्बत से सुनहरा हो गया है।

टूटे हुए दिलों की... टूटे हुए दिलों की दुआ मेरे साथ है; दुनिया तेरी तरफ है ख़ुदा मेरे साथ है; आवाज़ घुंघरुओं की नहीं है तो क्या हुआ; सागर के टूटने की सदा मेरे साथ है; तन्हाई किस को कहते हैं मुझ को पता नहीं; क्या जाने किस हसीं की दुआ मेरे साथ है; पैमाना सामने है तो कुछ ग़म नहीं निज़ाम; अब दर्द-ए-दिल की कोई दवा मेरे साथ है।

भड़का रहे हैं आग... भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम; ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम; कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ; मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम; ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है; क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके; कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।

भड़का रहे हैं आग... भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम; ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम; कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ; मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम; ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है; क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके; कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।

मुझसे बिछड़ के​...​​मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो​;​मेरी तरह तुम भी झूठे हो​​;​​​​इक टहनी पर चाँद टिका था​​;​मैं ये समझा तुम बैठे हो​​;​​​​उजले-उजले फूल खिले थे​​;​बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो​​;​​​​मुझ को शाम बता देती है​​;​तुम कैसे कपड़े पहने हो​​;​​​​तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे;​बच्चों सी बातें करते हो​।

किया है प्यार जिसे... किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह; वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह; बड़ा के प्यास मेरी उस ने हाथ छोड़ दिया; वो कर रहा था मुरव्वत भी दिल्लगी की तरह; किसे ख़बर थी बड़ेगी कुछ और तारीकी; छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह; कभी न सोचा था हमने क़तील उस के लिये; करेगा हम पे सितम वो भी हर किसी की तरह।

खुली आँखों में सपना... खुली आँखों में सपना जागता है; वो सोया है कि कुछ कुछ जागता है; तेरी चाहत के भीगे जंगलों में; मेरा तन मोर बन के नाचता है; मुझे हर कैफ़ियत में क्यों न समझे; वो मेरे सब हवाले जानता है; किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल; बहाने से मुझे भी टालता है; सड़क को छोड़ कर चलना पड़ेगा; कि मेरे घर का कच्चा रास्ता है।