न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..

अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!

इतना याद न आया करो कि रात भर सो न सकें
सुबह को सुर्ख आँखों का सबब पूछते हैं लोग

निगाहों से कत्ल कर दो तकलीफ दोनों को ना हो
मुझे सर झूकाने की तुझे खंजर चलाने की

एक कविता ऐसी लिखूं ,जो तेरी आखों में दिखाई दे
आँखें बंद करू तो तेरी सांसो में सुनाई दे...

जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है

माना की हमे सलीका नही इश्क का
तूने भी तो हर बार इशारे नही समझे.

🙏चले जाऐंगे तुझे तेरे हाल पर छोड कर, कदर क्या होती हे ये तुझे वक्त बता देगा। 🙏

दर्द ऐ महोबत तो हमने भी बहुत की,
पर भुल गये थे की HEROIN कभी
VILLAIN की नही होती...!!

उसकी हर गलती माफ हो जाती है,
जब वो मुस्कुरा कर पुछती है
करवु छे आजे....?...😜
😜😜

जिस घाव से खून नहीं निकलता,,
समज लेना वो ज़ख्म किसी
अपने ने ही दिया है...!!!

सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर

मैंने अपनी मौत की अफवाह उड़ाई थी,
दुश्मन भी कह उठे आदमी अच्छा था...!!!

मै खुश हू कि उसकी नफ़रत का अकेला वारिस हूँ
वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगो से है

कोई रूठा हुआ शख्स आज बहुत
याद आया.....
><
एक- गुजरा हुआ वक्त आज बहुत
याद आया.....
><
छुपा लेता था जो मेरे दर्द को सीने
मे अपने.....
><
आज- फिर दर्द हुआ तो वह बहुत
याद आया.....