फूलो से सजे गुलशन की ख्वाइश थी हमें मगर जीवनरूपी बाग़ में खिल गए कांटे
अपना कहने को कोई नहीं है यहाँ दिल के दर्द को हम किसके साथ बांटे

अगर किसी ‪#‎दिन‬ ‪#‎रोना‬ ‪#‎आये‬ ,
तो ‪#‎कॉल‬ ‪#‎करना‬ ,
‪#‎हसाने‬ की ‪#‎गारंटी‬ नही ‪#‎देता‬ हूँ ,
पर ‪#‎तेरे‬ ‪#‎साथ‬ ‪#‎रोऊंगा‬ जरुर !!!🙏🙏

सपनो से दिल लगाने की आदत नहीं रही
हर पल मुस्कुराने की आदत नहीं रही
ये सोचकर की कोई मनाने नहीं आऐगा
अब हमें रूठ जाने की आदत नहीं रही

पत्थर से प्यार किया नादान थे हम
गलती हमसे हुई इन्सान है हम
आज जिन्हें हमसे बात करने में तकलीफ होती है
कभी वो कहते थे उनकी जान है हम

बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता
जब बी देखता वो अपने हाथों को
उसे हमारा ख़याल तो आया होता

लोग इश्क़ करते हैं बड़े शोर के साथ
हमने भी किया बड़े ज़ोर के साथ
मगर अब करेंगे तोड़ा गौर के साथ
क्योंकि कल उसको देखा किसी और के साथ

तुमसे क्या शिकवा ए दोस्त बेवफाई का जब मुझसे मेरा नसीब ही रूठ गया
सच तो ये है दोस्त मैं तो वो खिलौना हूँ जो बदनसीब खेल ही खेल में टूट गया

जो लोग एक तरफा प्यार करते है
अपनी ज़िन्दगी को खुद बर्बाद करते है !
नहीं मिलता बिना नसीब के कुछ भी,
फिर भी लोग खुद पर अत्याचार करते है !!

वो मेरी हर बात से इक्तफाक़ रखता है; चुप चुप के मगर मेरा तवाफ़ करता है; कहीं कोई और शख्स मेरे करीब ना आ जाए; इसीलिए वो सब को मेरे खिलाफ रखता है।

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है
खामोशियो की आदत हो गयी है
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से
अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाइयों से हो गई है

मेरे दिल मे था ठिकाना उसका
दो कदम भी उससे आया ना गया
मैने पूछा क्यों तोड दिया तूने वादा मेरा
उसने हँस के कह दिया
.. बस निभाया ना गया...

मैंने रब से कहा वो छोड़ के चली गई;
पता नहीं उसकी क्या मजबूरी थी;
रब ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं;
यह कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।

महक होती तो तितलियाँ जरूर आती
कोई रोता तो सिसकियाँ जरूर आती
कहने को तो लोग मुझे बुहत याद करते है
मगर याद करते तो हिचकियाँ जरूर आती

तरसते थे जो हमसे मिलने को कभी
ना जाने क्युँ आज मेरे साऐ से भी वो कतराते है
हम भी वो ही है और दिल भी वही है
ना जाने क्युँ लोग बदल जाते है

ना हम रहे दिल लगाने के क़ाबिल
ना दिल रहा घाम उठाने के क़ाबिल
लगा उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर
ना छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबिल