कुछ फितरत ही अपने दौडने की थी
नहीँ तो जहाँ ठहर जाते वही मंजिल थी
कुछ फितरत ही अपने दौडने की थी
नहीँ तो जहाँ ठहर जाते वही मंजिल थी
नाम से नाम नहीं जुड़ा करते बुद्धु
दिल से दिल जुड़ा करते हैं समझे
इश्क मुहब्बत क्या है मुझे नही मालूम
बस तुम्हारी याद आती है सीधी सी बात है
उसने देखा ही नही अपनी हतेली को गोर से कभी
उसमे धुंदली सी एक लकीर मेरे नाम की थी
कहने लगी है अब तो मेरी तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत मैं तो बेवफा नही
Er kasz
उमर लग जाती है एहसासों को अल्फ़ाज़ देने में
फ़क़त दिल टूटने भर से कोई शायर नहीं बनता
Er kasz
उलझा हुआ हूँ अभी मैं अपनी उलझनों में
तुम ये ना समझना ना कि तुम्हें चाहा था बस दो दिन के लिए
कोई नामुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा
खुद पहचान लेगा जमाना तुझे तू भीड़ में भी अलग चल कर दिखा
पैसों से बंदूके मिलती हैं हिम्मत और जिगर नहीं
जिस दिन हम से सामना होगा सारी गर्मी निकल जाएगी
ये तो अच्छा है कि मेरे हर ख्वाब पुरे नहीं हाेते
वरना ना जाने हर गली में कितने ताजमहल हाेते
मुसीबत में अगर मदद मांगो तो सोच कर मागना क्योकि
मुसीबत थोड़ी देर की होती है और एहसान जिंदगी भर का
मुझे सिर्फ दो ही तरह की लड़कियां पसंद है
1. चश्मे वाली
2. बिना चश्मे वाली
Fashionable बनने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है
ये काम आप my को mah you को uh और is को iz लिखकर भी कर सकते है
सूना है आज वो छत पर सोने जा रही है
खुदा खैर करे उन सितारो की
,
कही उसे चाँद समझ कर जमीं पर ना उतर आये
उसने हाथो से छूकर दरिया के पानी को गुलाबी कर दिया
हमारी बात तो और थी उसने मछलियो को भी शराबी कर दिया