​जो आप हो वही रहो और जो महसूस करते हो वो कहो क्योंकि जो इसका बुरा मानते है वह आपके लिए मायने ही नहीं रखते और जो आपके लिए मायने रखते है वो बुरा नहीं मानते।

दूसरों को नियंत्रित करने वाला व्यक्ति शक्तिशाली हो सकता है लेकिन जिस व्यक्ति ने स्वयं पर विजय प्राप्त कर ली हो वह उससे कहीं अधिक महान बलशाली होता है।

मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान होती है; इन्हीं से आरती अरदास और इन्हीं से अज़ान होती है; यह समंदर के वह मोती हैं जिनसे इंसानों की पहचान होती है।

केवल धन देने भर से संतुष्ट न हों धन पर्याप्त नहीं है वह पाया जा सकता है लेकिन उन्हें आपके प्रेम की आवश्यकता है तो जहाँ भी आप जायें अपना प्रेम सबमे बांटे।

मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान होती है; इन्हीं से आरती अरदास और इन्हीं से अज़ान होती है; यह समुंदर के वह मोती हैं; जिनसे इंसानों की पहचान होती है!

कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो आंखे मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आंख नाक कान मुंह मस्तिष्क आदि क्यों देता?

यदि कोई कितनी ही निंदा क्यों ना करे फिर कटु उत्तर दे कर तुम उस पर क्रोध ना करो। यदि इस प्रकार से इन प्रसंगो से बचते रहोगे तो निश्चित है कि तुम सदा सुखी रहोगे।

यदि कोई कितनी ही निंदा क्यों न करे फिर भी कटु उत्तर दे कर तुम उस पर क्रोध न करो। यदि इस प्रकार से इन प्रसंगो से बचते रहोगे तो निश्चित है कि तुम सदा सुखी रहोगे।

अपनी सामर्थ्य का पूर्ण विकास न करना दुनिया में सबसे बड़ा अपराध है। जब आप अपनी पूर्ण क्षमता के साथ कार्य निष्पादन करते हैं तब आप दूसरों की सहायता करते हैं।

यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत भी गवां दें और हमारा जीवन बलिदान हो जाए हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।

जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है।

कोई कार्य तुच्छ नहीं होता: यदि मनपसंद कार्य मिल जाए तो मूर्ख भी उसे पूरा कर सकता हैं। किंतु बुद्धिमान इंसान वही हैं जो प्रत्येक कार्य को अपने लिए रुचिकर बना ले।

पैसे ने कभी किसी को ख़ुशी नहीं दी है और न देगा उसके स्वभाव में ऐसा कुछ नहीं है जिससे ख़ुशी उत्पन्न हो। ये जितना ज्यादा जिसके पास होता है वो उतना ही और इसे चाहता है।

आप और मैं अनंत विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं। हमारे अस्तित्व के हर एक क्षण में हम उन सभी संभावनाओं के मध्य में होते हैं जहाँ हमारे पास अनंत विकल्प मौजूद होते हैं।

दूसरों की पुष्टि पर निर्भर करने की तुलना में स्वयं को जानने तथा स्वीकार करने- अपनी शक्तियों तथा अपनी सीमाओँ को जान लेने से वास्तविक विश्वास की उत्पत्ति होती है।