महान बनने की चाहत तो हर एक में है पर महान बनने के चक्कर में हम इंसान बनना भूल जाते हैं।

चरित्रहीन शिक्षा मानवता विहीन विज्ञान और नैतिकता विहीन व्यापार ख़तरनाक होते हैं।

मेहनत करने से गरीबी नहीं रहती धर्म करने से पाप नहीं रहता और मौन रहने से कलह नहीं होती।

यदि तन और मन में संतुलन है तो जीत अवश्य मिलेगी। हारता वही है जो अपना संतुलन खो देता है।

अपनी उम्र और पैसे पर कभी घमंड मत करना; जो चीजें गिनी जा सकें वो यकीनना खत्म हो जाती हैं।

मानव हृदय में घृणा लोभ और द्वेष वह विषैली घास हैं जो प्रेम रूपी पौधे को नष्ट कर देती है।

हँसते हुए लोगों की संगत इत्र की दुकान जैसे होती है कुछ ना खरीदो फिर भी रूह महका देते हैं।

विश्वास और प्रेम में एक समानता है दोनों में से किसी को भी जबरदस्ती बड़ा किया नहीं जा सकता|

उपलब्धि और आलोचना एक दुसरे की मित्र है उपलब्धियां बढ़ेंगी तो निश्चित ही आलोचना भी बढ़ेगी।

भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले; लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!

शब्द शब्द संभाल कर बोलिए शब्द के नहीं हाथ नहीं पाँव एक शब्द में है औषधि और एक शब्द में है घाव।

एक नफरत ही है जिसे दुनिया लम्हों में ही जान लेती है; चाहत का पता लगने में तो जमाने बीत जाते हैं।

देवता आशीर्वाद देने में तब तक गूंगे रहते हैं जब तक हमारा हृदय उनकी वाणी सुनने में बहरा रहता है।

दूसरों को उतनी जल्दी माफ़ कर दिया करो जितनी जल्दी आप उपरवाले से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद रखते हो।

पात्र और कुपात्र में बहुत अंतर है; गाय घास खाकर भी दूध देती है; और साँप दूध पीकर भी जहर ही उगलता है।