जितनी भीड़ बढ़ रही है ज़माने में लोग उतने ही अकेले होते जा रहे हैं।

इतनी बदसलूकी ना कर ऐ जिंदगी हम कौन सा यहाँ बार
बार आने वाले है !!

जो तुम्हारी बात सुनते हुए इधर-उधर देखे उस पर कभी विश्वास ना करो।

भूल होना प्रकृति है मान लेना संस्कृति है सुधार लेना प्रगति है।

ज़िन्दगी में कुछ बनो या ना बनो परन्तु किसी का सिर दर्द कभी ना बनो!

जो चीज़ पाने की आप शक्ति रखते हैं उसे पाने के लिए कभी भीख मत मांगो।

दुनिया आप को उस वक़्त तक नहीं हरा सकती जब तक आप स्वंय से ना हार जाओ।

चरित्र को हम अपनी बात मनवाने का सबसे प्रभावी माध्यम कह सकते हैं।

जीवन में ऐसा काम करो कि परिवार गुरु और परमात्मा सब तुमसे खुश रहें।

आनंद एक ऐसी चीज़ है जो आपके पास ना होते हुए भी आप दूसरों को दे सकते हो।

अपने पैरों पर खड़े रहते हुए मरना; घुटने टेक कर जीने से कहीं बेहतर है।

जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता उसी को क्रोध अधिक आता है।

इतने कड़वे मत बनो कि कोई थूक दे और इतने मीठे भी मत बनो कि कोई निगल जाये।

कष्ट सहने के फलस्वरूप ही हमें बुद्धि तथा विवेक की प्राप्ति होती है।

इतना कड़वा मत बनो कि लोग थूक दें पर इतना भी मीठा मत बनो कि लोग निगल जाएं।