महान मनुष्य की पहली पहचान उसकी नम्रता है।

चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का अंतर है।

नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के शोभा बढती है।

अन्याय का साथ देना अन्याय करने के ही समान है।

अपने अहंकार पर विजय पाना ही प्रभु की सेवा है।

नजरिया एक छोटी सी चीज है जो बड़ा अंतर डालती है।

किसी दूसरे की राय को अपनी वास्तविकता मत बनने दो।

दयालुता के साथ कर्म करो मगर आभार की इच्छा मत करो।

पुस्तक एक ऐसा तोहफ़ा है जो आप बार बार खोल सकते हैं।

सत्य कभी भी किसी कारण को नुक्सान नहीं पहुँचाता।।

खुश रहना बहुत सरल है लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल है।

अच्छा होने की इच्छा करना भी अच्छा होने का हिस्सा है।

मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती|

विद्या से विनम्रता आती है; विनम्रता से पात्रता आती है।

विवेक के मामलों में बहुमत के नियम का कोई स्थान नहीं है।