ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं; इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमां कहते हैं; इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
मैं किसी से बेहतर करूँ क्या फ़र्क पड़ता है; मैं किसी का बेहतर करूँ बहुत फर्क पड़ता है।
बुलंदी की उडान पर हो तो जरा सबर रखो; परिंदे बताते हैं कि आसमान में ठिकाने नही होते।
पापी चाहे कितनी भी चतुराई से पाप करे; अंत में पापी को पाप का दण्ड भुगतना ही पड़ता है।
जब मिलो किसी से तो जरा दूर की यारी रखना; अक्सर जान-लेवा होते हैं सीने से लगाने वाले।
कर्म करने से हार या जीत कुछ भी मिल सकता है लेकिन कर्म न करने से केवल हार ही मिलती है।
यदि आप जीत जाते हैं तो आप प्रसन्न होंगे यदि आप हार जाते हैं तो आप समझदार बन जायेंगे!
जब इंसान अपने अलावा कुछ और बनने की कोशिश करे तो; वो या ज़ालिम बन जाता है या फिर मज़लूम।
तक़दीर के लिखे पर कभी शिकवा ना कर; तू अभी इतना समझदार हुआ नहीं कि रब के इरादे समझ सके।
लफ्ज़ ही ऐसी चीज़ है जिसकी वजह से इंसान या तो दिल में उतर जाता है या दिल से उतर जाता है।
वो जो अपना भविष्य आनंदमय बनाना चाहता है उसे अपना वर्तमान नहीं बर्वाद करना चाहिए।
सत्य से कमाया धन हर प्रकार से सुख देता है; छल और कपट से कमाया धन दुःख ही दुःख देता है।
वह व्यक्ति अच्छा कार्य निष्पादन करता है जो परिस्थितियों का ठीक से सामना करता है।
नारी की करुणा अंतरजगत का सर्वोच्च विकास है जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए है।
अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए सबसे बुद्धिमत्ता की बात है कि दूसरों का ख्याल रखो।