अपने मिशन में कामयाब होने के लिए; आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित होना पड़ेगा।

मानव अपनी सोच की आंतरिक प्रवृति को बदलकर अपने जीवन के बाह्य पहलूओं को बदल सकता है।

सबसे बड़ा गुरु मन्त्र यह है कि अपने रहस्य किसी के साथ मत बांटो। यह आपको नष्ट कर देगा।

कर्म करने से हार या जीत कुछ भी मिल सकता है। लेकिन कर्म न करने से केवल हार ही मिलती है।

कुछ अलग करना है तो जरा भीड़ से हटकर चलो भीड़ साहस तो देती है लेकिन पहचान छीन लेती है।

जब आप लोगों पर धूल फेंकते हैं तो आप कुछ नहीं कर रहे होते बस अपनी ज़मीन खो रहे होते हैं।

जो अपने जोश और जूनून को ठंडा कर देता है; उससे फिर संसार में कोई और कार्य नहीं हो पाता।

जिस मनुष्य ने अपने आप को वश में कर लिया है उसकी जीत को देवता भी हार में नहीं बदल सकते।

यदि हमारे मन में शांति नहीं तो इसकी वजह है कि हम यह भूल चुके हैं कि हम एक दूसरे के हैं।

बहुधा वातावरण में परिवर्तन से कहीं अधिक व्यक्ति के भीतर ही बदलाव की ज़रूरत होती है।

भगवान आपके मेडल्स डिग्री और डिप्लोमे कभी नहीं देखता वह आपके घाव के निशान देखता है।

एक दिन हम सब एक दूसरे को यह सोच कर खो देंगे कि वो मुझे याद नहीं करते तो मैं क्यों करूँ।

मात्र वही सही कार्य होते हैं जिनके लिए कोई स्पष्टीकरण तथा कोई क्षमा न मांगनी पड़े।

कोई शिकायत अपने दिल में कभी नहीं रखना यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं।