हमारी किस्मत हमें दगा दे गई; ज़िंदगी भर अकेले रहने की सज़ा दे गई; जिन्हें हमने जान से भी ज्यादा प्यार किया; वही हमें हर पल मरने की सज़ा दे गई।

अकेला सा महसूस करो जब तन्हाई में; याद मेरी आये जब जुदाई में; महसूस करना तुम्हारे करीब हूँ मैं; जब चाहे देख लेना अपनी ही परछाई में!

तु नहि हे रानी या महारानी ये तो नजर गिरी मेरी
तुज पे इस लीये हुए कदर तेरी
वरना तेरे जैसी कितनी आई और चली भी गई...

कुछ बिखरे सपने और आँखों में नमी है; एक छोटा सा आसमान और उमीदों की ज़मीं है; यूँ तो बहुत कुछ है ज़िंदगी में; बस जिसे चाहते हैं उसी की कमी है।

आज कुछ कमी सी है तेरे बगैर; ना रंग ना रौशनी है तेरे बगैर; वक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा है; बस धड़कन थम सी गयी है तेरे बगैर।

नफ़रत कभी ना करना तुम हमसे; यह हम सह नहीं पायेंगे; एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी; तुम्हारी दुनियाँ से हंसकर चले जायेंगे!

ज़िन्दगी की आखिरी शाम लिखते हैं; आप की याद में गुजरते पल तमाम लिखते हैं; वो कलम भी दीवानी हो जाती है आप की; जिस कलम से हम आपका नाम लिखते हैं।

ज़माना बन जाए कागज़ का; और समंदर हो जाए स्याही का; फिर भी कलम लिख नहीं सकती; दर्द तेरी जुदाई का।

धोखा दिया था जब तूने मुझे; जिंदगी से मैं नाराज था; सोचा कि दिल से तुझे निकाल दूं; मगर कंबख्त दिल भी तेरे पास था।

किसी को मोहब्बत की सच्चाई मार डालेगी; किसी को मोहब्बत की गहराई मार डालेगी; करके मोहब्बत कोई नहीं बच पायेगा; जो बच गया उसे तन्हाई मार डालेगी।

कौन पूछता है पिंजरे मे बंद पंछियों को
याद तो वही आते है जो उड जाते हैं

सो जाऊं उमर भर के लिए जो वो एक बार कह दे
ख्वाब में मिलने आयेगे इंतज़ार करना

सब कुछ है मेरे पास बस दिल की दवा नहीं; दूर वो मुझसे है पर मैं उस से खफा नहीं; मालूम है अब भी प्यार करता हैं वो मुझसे; वो थोडा सा जिद्दी है लेकिन बेवफा नहीं।

पलट कर भी ना देखो और ना तुम आवाज़ दो मुझ को; बड़ी मुश्किल से सीखा है किसी को अलविदा कहना।

बहुत कुछ बदला हे मैंने अपने आप मे लेकिन
तुम्हे वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नही बदली