ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना . . . . . . . . . . सर्दी आ गई अब भाङ में जाए नहाना।

ना मैं दिल में आता हूँ ना मैं समझ में आता हूँ . . . . . . . . . . इतनी सर्दी में मैं कहीं नहीं जाता हूँ।

दुनिया में अच्छे इंसान की तलाश में मत निकलना; क्योंकि आज ठंड बहुत है और मैं घर पर ही हूँ।

कितने अजब रंग समेटे है ये बे-मौसम बारिश खुद में; अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा है तो किसान जहर।

जान मांगोगे तो जान भी दे देंगे लेकिन... . . . . . . . . अगर Cooler की पट्टीया अपनी तरफ घुमाई तो चमाट मार देंगे।

गर्मी के लिए ख़ास: रहिमन कूलर राखिये... बिन कूलर सब सून; कूलर बिना ना किसी को... गर्मी में मिले सुकून!

आज की ठण्ड देखते हुए लगता है जिनकी शादी हो गयी है वो बधाई के पात्र हैं और जिनकी नहीं हुई वो रजाई के पात्र हैं।

गर्मी सांग: सुनो गौर से पेप्सी वालो; बुरी नज़र ना कोक पे डालो; चाहे जितना Dew पिला दो; सबसे आगे होगा नींबू पानी। शुभ गर्मी!

बहुत अफ़सोस हो रहा है उन बेचारे लड़के-लड़कियों पे जो . . . . . . . . . कंबल रज़ाई में छुप कर कॉल और मैसेज किया करते थे। अब करो हाय रे गर्मी!

जब बारिश हो तो बाहर बैठा करो तुम्हारी किस्मत खुल जाएगी। किस्मत न भी खुली तो क्या हुआ कम से कम . . . . . . तुम्हारी शक्ल ही धुल जाएगी।

आसमान में काली घटा छाई है; आज फिर बीवी ने दो बातें सुनाई है; दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर; बाजूवाली आज फिर भीग कर आई है। शुभ वर्षा ऋतू।

कोई रास्ता नहीं दुआ के सिवा; कोई सुनता नहीं खुदा के सिवा; मैंने भी जिंदगी को करीब से देखा है ए दोस्त; गर्मी में कोई साथ नहीं देता... . . . . . बियर के सिवा। शुभ गर्मी!

मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में; . . . . . . . . यहीं हूँ मैं अपनी रजाई में!

इस ठण्ड में ग़ालिब का नया शेर: खुद को कर बुलंद इतना कि हर सुबह घूमने निकले; वहाँ खुदा खुद आकर पूछे बता तेरी रजाई कहाँ है?

प्रिय दिसंबर तुम वापस आ जाओ तुम तो सिर्फ नहाने नहीं देते थे यह जनवरी तो मुँह भी नहीं धोने दे रहा। समस्त उत्तर भारतीय!