उजड़ जाते है सर से पॉव तक वो लोग
जो किसी बेपरवाह से बेपनाह मोहब्बत करते है

मसला तो तेरे मेरे दरमियान था ऐ मोहोब्बत
फ़िर ये ज़माना बीच मे कहाँ से आ गया

मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है

उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती

कौन कहता है दर्द सिर्फ महोब्बत में होता है
धुप में खड़ी बाइक पर बैठ कर देखो

मैंने पूछा क्यूँ आये.. मेरी जिंदगी में..??
पास आये और धीरे से बोले दिल दुखाने...

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हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई ...!!!

सुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको
कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो

शक ना कर मेरी मुहब्बत पर पगली
अगर मै सबूत देने पर आया तो तु बदनाम हो जायेगी

मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहतें
है
!
के जख्म ताजा रहें निशान चला जाये

हम ‪नवाब‬ इसलिए है क्यो कि हम ‎लोगो‬ पे नही
‎लोगो के‬ दिलो पे ‎राज‬ करते है

फिर वफायें भी करोगे तो कोई ना पूछेगा
ये सारे सितम मेरे मर जाने तक ही हैं बस

वफ़ा किसी पे फ़र्ज़ तो नहीं है लेकिन...
हो सके तो हमारी मुहब्बत की लाज रखना...!!!

मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत,
जो हो सके तो दुआओं को बेअसर कर दे।।