तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर
वरना मैं अभी दे दूँ जिस्म से रूह निकालकर
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर
वरना मैं अभी दे दूँ जिस्म से रूह निकालकर
बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना
मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती
रोने से अगर सवर जाते हालात किसी के
तो मुझसे ज्यादा खुशनसीब कोई और नही होता
कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक उसने कि
एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना
लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया
इश्क़ पे मुक़दमा कर के क्या मिल जाएगा
हुश्न वालो को पकड़ो जो फसाद की जड़ है
लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया
सांसों ने छुआ जिस दिन से तेरी सांसों को
मेरी रातों की नींद हड़ताल पर चली गई
जो निखर कर बिखर जाये वो कर्तव्य है
और जो बिखर कर निखर जाए वो व्यक्तित्व हैं
लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया
सच बोलने में या सुनने में कोई दिक्कत नहीं है
बस हज़म करने में दिक्कत होती है
बुलंदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी
पर गलत राहो से होकर जाऊ इतनी जल्दी भी नही
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
अगर हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा न होते
ख्वाईशे कम पड गई तो ख्वाबो को जुटा दीया
कुछ वो लुट गए कुछ हमने खुद लुटा दिया
खता उनकी भी नही यारो वो भी क्या करते
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते