बहुत रोये थे हम उस दिन जब एहसास हुआ था, खंजर लगा एक पीठ पर
आज लहुलुहान पीठ लेकर भी चुपचाप चलते जा रहे
बहुत रोये थे हम उस दिन जब एहसास हुआ था, खंजर लगा एक पीठ पर
आज लहुलुहान पीठ लेकर भी चुपचाप चलते जा रहे
तेरी बेवफाई पर इतना ही कहूँगा हमसफर
मैं खुद को इस काबिल बनाऊंगा की तेरी आँखे मेरे दीदार को तरसेगी
मैं बोझ बन जाऊँगा एक दिन अपने ही दोस्तों पे
देखना जब कंधे बदल रहे होंगे वो हर दो कदम के बाद
प्रवीन
डाल दो अपनी दुआओं के कुछ अल्फ़ाज़ मेरी झोली में
क्या पता आपके लब़ हिलें और मेरी ज़िन्दगी सँवर जाऐ
चली जाने दो उसे किसी ओर कि बाहों मे
इतनी चाहत के बाद जो मेरी ना हुई
वो किसी ओर कि क्या होगी दोस्तों
मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे
मंजुर है ,,लेकिन धोखा देने वालों को मै
दुबारा मौका नही देता .
खिंच चुके है मासूम जो नकाब चेहरों से खुद ही गिर जाएँगे एक दिन
न बेकार समय गँवा कुछ सच्चे चेहरे तलाश
हम से पंगा लेने से पहले हमारे दोस्तों के बारे मे जान लेना
क्यूकी वो मारते पहले है और पुछते बाद मे है
हो चुके अब तुम किसी के
कभी मेरी ज़िंदगी थे तुम
भूलता है कौन मोहब्बत पहली
मेरी तो सारी ख़ुशी थे तुम
सिर्फ एक बार आओ हमारे दिल की सल्तनत में
अपना मुकाम देखने..
फिर लौटने का ईरादा हम तुम पर छोड़ देँगे.!!
क्या मंदिर क्या मस्जिद क्या गंगा की धार करे..
वो घर ही मंदिर जैसा है जिसमे औलाद माँ बाप का सत्कार करे
इतना ही ग़ुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती
ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या इतराना जिसकी औकात ही बिस्तर तक हो
अपनी आदतों के अनुसार चलने में इतनी गलतिया नहीं होतीं
जितनी दुनिया का लिहाज रखकर चलने में होती हैं
सुनो तुम लाख जतन कर लो मुझे भूलने की पर मैं
तुम्हारी हृदय के एक कोने में बैठा मुस्कुराता ही मिलूंगा
मैने उसके नरम होठो को चुमने की इजाज़त माँगी
वो अपने होठ करीब लाकर बोली पागल प्यार मेँ इजाज़त नही होती