छोड़ दो किसी से वफा की आस ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं वो भुला भी सकता हैं
छोड़ दो किसी से वफा की आस ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं वो भुला भी सकता हैं
जीत लू तुझे जमाने की हर ताकत से
इक बार जो तू आमीन कह दे मेरी दुआ के बाद
चाहे दुश्मन मिलें चार या चार हजार सब
पर भारी पड़ेंगे मेरे जिगरी यार
कोई ऐसा आइना बना दे मेरे मालिक
जिसमे चेहरा नही इंसान की औकात दिख जाए
पार्लर जाके रंग तो गोरा कर लोगी पर क्या करोगी
तुम अपने इस काले दिल का
डूबी हैं उगंलिया अपने ही लहू मे
ये कांच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है
मानो तो एक सोच का रिश्ता है हम सबका
ना मानो तो कौन किसी का क्या लगता है
लड़की ढूंढनी होती तो कबकी ढूँढ लेते….
हम तो बादशाह है रानी ही ढूंढेग!.
देख पगले Degree तो तुजे किसी भी College से मिल जायेगी
मगर Knowledge तो मेरे Status से ही मिलेंगा
हमारे साथ दोस्ती तो शहर में नाम
हमारे साथ दुश्मनी तो मुफ्त में शमशान
हिलते लबो को तो दुनिया जान लेती हैं..
मुझे उसकी तलाश है जो ख़ामोशी पढ़ ले..!
आज मुस्कुराने की हिम्मत नहीं मुझ में..
आज टूट कर मुझे तेरी याद आ रही है..!!
धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये
जनाब आप तो सारे दिल पर कब्जा किये बैठे है
लोग तो लिखते रहे मेरी पर ग़ज़ल
तुमने इतना भी ना पूछा, तुम उदास क्यों हो
रोने से अगर वो मिल जाये तो,
भगवान की कसम ईस धरती पे सावन की बरसात लगा दूँ..