मेरे चेहरे से जो जाहिर है जरा पढके बता
सुना है मेरे दोस्त तू पढा लिखा बहुत है

तु बदनाम ना हो ईसीलिए जी रहा हु मै
वरना तेरी चौखट पे मरने का ईरादा रोज होता है

सुना है की समन्दर को बहुत गुमान आया है,,.
उधर ही ले चलो कश्ती जिधर तूफ़ान आया है.,.!!!

कन्हैया इतनी मनमानियाँ भी अच्छी नहीं होती
तुम सिर्फ अपने ही नहीं मेरे भी हो

बड़ा अजीब जहर है तेरी यादों में
लगता है सारी उम्र गुजर जायेगी मुझे मरते मरते

करीब रिश्तों के बहाने तो सब ही आते हैं
जताने ज़्यादा आते है निभाने कम आते हैं

अपनी मुट्ठी में छुपा के किसी जुगनू की तरह
हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं

तेरी मजबूरियाँ भी होंगी चलो मान लेते है,....
मगर तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का...

क्या हसीन इत्तिफ़ाक था तेरे सामने आने का
किसी काम से आये थे ओर किसी काम के न रहे

देखना एक दिन मैं बदल जाऊंगा पूरी तरह
तुम्हारे लिए न सही तुम्हारी वजह से यकीनन

सिमट गया मेरा प्यार चंद अल्फाजों में
जब उसने कहा मोहब्बत तो है मगर तुमसे नहीं

मुझे ढूंढ़ने की कोशिश अब ना किया कर
तूने रास्ता बदला तो मैंने मंजिल ही बदल डाली

जिन्दगी से हम अपनी..कुछ उधार
नहीं लेते !
कफन भी लेते हैं तो अपनी
जिंदगी देकर..!!

अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!

कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से मेरी बस ज़िद्द है
की किसी के साथ नही जीना चाहता अब