करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख
लेना...
बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो...

जा रहा हूं दुनिया से तो कुछ लिख कर
जाते है
.
अपनी हथेली पर माँ लिख कर कब्र में सो

मत पूछ ईमानदारी का हाल इस दुनिया में ऐ ग़ालिब
ईमान बेचकर ईमानदार बनते है लोग यहाँ

जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा
सब ग़ुरूर उन का मैं ख़ाक में मिला दूँगा

सरकार ढूंढ-ढूढ कर सिर्फ काले धन वालो को ही पकड़ रही है
काले मन वाले निश्चिन्त रहें

तुमने ही सवार किया था मोहब्बत की कश्ती पर
अब नजरे ना चुराओ मुझे डूबता हुआ भी देखो

उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक हैं मेरा !!
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है !!

ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

लोग कहते हैं हंसी तो फंसी
पर मैंने तो पता नहीं कितनों को हसाया है और फसी एक भी नहीं

तेरे दीदार की तलाश में आते है तेरी गलियों में ...
वरना आवारगी के लिए पूरा शहर पड़ा हे ।

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…

तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िंदगी हमने,
सोचो अगर तुम मोहब्बत करते तो हम क्या करते

कौन उजड़ा होगा भरी दुनिया में हमारी तरह
तू भी ना मिला हमको और खुद को भी हम गवां बैठे