फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही
फैसले से पहेले कैसे मान लूं हार क्योंकी
वक्त अभी जीता नहीँ और मैं अभी हारा नही
जिन्दगी से हम अपनी..कुछ उधार
नहीं लेते !
कफन भी लेते हैं तो अपनी
जिंदगी देकर..!!
सुना है आजकल तेरी मुस्कराहट गायब हो गई है
तेरी इजाजत हो तो फिर से तेरे करीब आऊँ
यूँ तो नहीं कि हमारी जरूरतों में शामिल तुम नहीं अब
बस अधूरापन ही रास आने लगा अब
खूबीयों से ही मोहब्बत हो ये जरूरी तो नही
प्यार तो अक्सर कमीयों से ही हो जाता है
कृत्रिम प्रेम बहुत दिनों तक चल नहीं पाता स्वाभाविक प्रेम की नकल नहीं हो सकती।
अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!
हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में
कोई दुश्मनी नही ज़िन्दगी से मेरी बस ज़िद्द है
की किसी के साथ नही जीना चाहता अब
अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ
मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती हैं
साथ जब भी छोड़ना तो मुस्कुरा कर छोड़ना
ताकि दुनिया ये ना समझे हम में दूरी हो गई
लिख देना ये शब्द मेरी कब्र पे दोस्तो
की मौत अच्छी है पर दिल का लगाना अच्छा नहीं
ना पुंछ मेरी तन्हाइ के आलम का दर्द
अगर बयान कर दूँगा ताे ये मुर्दे भी राे देंगे
मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...
नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना हमसे देखा नहीं जाता