ख़ामोशी बहुत कुछ कहती हे
कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो

शौक था अपना-अपना..
किसी ने इश्क किया,
तो कोई जिंदा रहा…

कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से

जब भी चाहा सिर्फ तुम्हे चाहा
पर कभी तुम से कुछ नही चाहा

खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है
वरना हम दिल चुरा भी लेते हैं

जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है

जो लोग दर्द को समझते हैँ
वो कभी भी दर्द की वजह नहीँ बनते

मरते होंगे लाखों तुझ पर
पर हम तो तेरे साथ मरना चाहते है

फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है
बस जिक्र करने का हक नही रहा

दिल मेँ बुराई रखने से बेहतर है
अपनी नाराजगी जाहिर कर दो

तेरी नाराजगी वाजिब है दोस्त
मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल

दिल मेँ बुराई रखने से बेहतर है
अपनी नाराजगी जाहिर कर दो

उसने कहा क्या चल रहा है आजकल
हमने भी कह दिया सिर्फ साँसे

यहां मेरा कोई अपना नहीं है
चलो अच्छा है कोई खतरा नहीं है

मेरे हर किस्से में तुम आते हो
पर मेरे हिस्से में कब आओगे