तुम पुकारो तो एक बार मुझे
मौत की हद से भी लौट अाऊंगा...

नफ़रत सी हो गई हैँ इस दुनिया से, एक तुम से मोहब्बत करके॥

किन चिरागों की बात करते हो
सब चिरागों तले अँधेरा है

ऐसे जख्मों का क्या करे कोई
जिन्हें मरहम से आग लग जाए

भूख रिश्तों को भी लगती है
प्यार कभी परोस कर तो देखिय

कांटे तो नसीब में आने ही थे
फूल जो हमने गुलाब चुना था

कुछ खास जादू नही है मेरे पास
बस बातें दिल से करता हूँ

जलने लगा है जमाना सारा
क्योंकी चलने लगा है नाम हमारा

जलने लगा है जमाना सारा
क्योंकी चलने लगा है नाम हमारा

मै उन्हे बदला हुआ दिखता हुँ.....
कभी वो खुद को भी तो देखे ......

खुबसुरत यूहीं नहीं हु मैं
तेरे गम़ का निखार है मुझ पर

सुनो नादान सा दिल है मेरा
जिसे हर कोई बुद्धु बनाता है

हमने समंदर पे राझ किया है
ईसि लिए लोग सङको पे महफुज है

रख लेता शहर को अपनी जेब में
अगर तेरी वफा बेवफा ना होती

सुना है तुम ज़िद्दी बहुत हो,
मुझे भीअपनी जिद्द बनालो.!!