नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता
नींद आए या ना आए चिराग बुझा दिया करो
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता
कैसे ना मर मिटु उस पर यारों कोई तो बताना
पगली रूठ कर भी कहती है, सुनो संभल के जाना
गुजर गया वो वक़्त जब तेरी हसरत थी मुझे
अब तू खुदा भी बन जाये तो भी तेरा सजदा ना करू
ये तो शौक है मेरा ददॅ लफ्जो मे बयां करने का
नादान लोग हमे युं ही शायर समझ लेते है
एक बेबफा के जख्मो पे मरहम लगाने हम गए
मरहम की कसम मरहम न मिला मरहम की जगह मर हम गए
यूं अकड मे रहना बंद कर दें वो तो प्यार है तूजसे
वरना गरज तो किसी के बाप की भी नहीं
तुम मेरी जिंदगी मे ऐसे शामिल हो..
जैसे मंदिर के दरवाजे पर बंधे हुए मन्नत के धागे...
बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग
क्यूकी हम रानियो के सामने झुका नहीं करते
अगर रुक जाये मेरी धड़कन तो इसे मौत न समझना,
अक्सर ऐसा हुआ है तुझे याद करते करते…
कितने अनमोल होते है ये मोहब्बत के रिश्ते
ताल्लुक टूट भी जाए पर चाहत कम नही होती
मोहब्बत नहीं है नाम सिर्फ़ पा लेने
का,,,
बिछड़ कर भी अक्सर दिल
धड़कता है साथ -साथ !!"
दिल खोल कर इन लम्हों को जी लो यारों,
जिंदगी अपना इतिहास फिर नहीं दोहरायेगी!
घर से निकलते थे मां के हाथों बनी रोटी लेकर
आज सड़क किनारे चाय तलाशती हैं जिंदगी
प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे
मगर जब तुम मिले तब इन अल्फाजो को मायने मिले
उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे
बेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है